Top Shodashi Secrets
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Community feasts Enjoy a substantial role in these occasions, wherever devotees arrive together to share meals That always incorporate common dishes. This kind of meals celebrate equally the spiritual and cultural facets of the Competition, enhancing communal harmony.
रागद्वेषादिहन्त्रीं रविशशिनयनां राज्यदानप्रवीणाम् ।
Goddess is commonly depicted as sitting down over the petals of lotus that is definitely stored about the horizontal system of Lord Shiva.
कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः
Due to the fact considered one of his adversaries were Shiva himself, the Kama acquired significant Shakti. Missing discrimination, the man began developing tribulations in many of the a few worlds. With Kama possessing a lot of electric power, and Together with the Devas dealing with defeat, they approached Tripura Sundari for assistance. Taking up all her weapons, she billed into struggle and vanquished him, Therefore saving the realm with the Gods.
यह उपरोक्त कथा केवल एक कथा ही नहीं है, जीवन का श्रेष्ठतम सत्य है, क्योंकि जिस व्यक्ति पर षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी की कृपा हो जाती है, जो व्यक्ति जीवन में पूर्ण सिद्धि प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है, क्योंकि यह शक्ति शिव की शक्ति है, यह here शक्ति इच्छा, ज्ञान, क्रिया — तीनों स्वरूपों को पूर्णत: प्रदान करने वाली है।
गणेशग्रहनक्षत्रयोगिनीराशिरूपिणीम् ।
Goddess Shodashi has a third eye about the forehead. She is clad in crimson costume and richly bejeweled. She sits on a lotus seat laid on a golden throne. She is shown with four arms during which she holds 5 arrows of flowers, a noose, a goad and sugarcane like a bow.
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥५॥
केयं कस्मात्क्व केनेति सरूपारूपभावनाम् ॥९॥
Her narratives generally emphasize her role while in the cosmic fight versus forces that threaten dharma, therefore reinforcing her place like a protector and upholder from the cosmic purchase.
श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु विपुलां कीर्तिमानन्दरूपा ॥१६॥